Mehul Choksi Extradition Order 2025 |
Mehul Choksi Extradition Order 2025: भारत में आर्थिक घोटालों की चर्चा जब भी होती है, तो नीरव मोदी और मेहुल चौकसी का नाम सबसे पहले सामने आता है। ये वही नाम हैं जिन्होंने पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की थी और फिर देश छोड़कर भाग गए थे। अब एक बार फिर यह मामला चर्चा में है क्योंकि Mehul Choksi Extradition Order को लेकर बड़ा फैसला आया है। कई सालों की कानूनी लड़ाई और राजनीतिक दबाव के बाद आखिरकार उनके प्रत्यर्पण (extradition) की प्रक्रिया तेज हो गई है।
यह फैसला न केवल भारत सरकार के लिए बल्कि न्याय व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के लिए भी अहम है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि मेहुल चौकसी कौन है, उस पर क्या आरोप हैं, उसका देश छोड़ने का पूरा मामला क्या था, और हाल में आए प्रत्यर्पण आदेश का क्या मतलब है।
मेहुल चौकसी कौन है
मेहुल चौकसी भारत का प्रसिद्ध हीरा व्यापारी था और Gitanjali Gems Ltd. नामक कंपनी का मालिक था। उसका कारोबार भारत से लेकर दुबई, अमेरिका और यूरोप तक फैला हुआ था। उसने हीरों और आभूषणों के क्षेत्र में बड़ा नाम बनाया था। लेकिन साल 2018 में जब PNB घोटाले का खुलासा हुआ, तब यह भी सामने आया कि उसने नीरव मोदी के साथ मिलकर बैंक से हज़ारों करोड़ रुपये का घोटाला किया था।
मेहुल चौकसी ने न केवल देश के सबसे बड़े बैंकों में से एक को धोखा दिया बल्कि जनता के पैसे को भी हड़प लिया। घोटाले का अंदाजा इतना बड़ा था कि इससे भारत की बैंकिंग व्यवस्था पर भी सवाल उठे।
घोटाले की पूरी कहानी
साल 2018 की शुरुआत में पंजाब नेशनल बैंक ने खुलासा किया कि उसे करीब 13,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जिसका जिम्मेदार नीरव मोदी और मेहुल चौकसी हैं। यह घोटाला Letters of Undertaking (LoU) के जरिए किया गया था। Mehul Choksi Extradition Order
इन पत्रों के माध्यम से बैंक ने विदेशों में कंपनियों को ऋण की गारंटी दी थी। लेकिन बाद में पता चला कि ये सारे LoU फर्जी थे और बैंक के अंदर के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से यह धोखाधड़ी की गई थी।
इस दौरान नीरव मोदी और मेहुल चौकसी ने भारत से फरार होने की योजना बना ली। नीरव मोदी लंदन भाग गया, जबकि मेहुल चौकसी ने Antigua and Barbuda की नागरिकता ले ली और वहीं बस गया।
देश छोड़ने के बाद क्या हुआ
भारत सरकार ने जब घोटाले की जांच शुरू की तो पता चला कि मेहुल चौकसी ने भारत छोड़ने से कुछ महीने पहले ही Antigua की नागरिकता ली थी। उसने दावा किया कि उसने यह नागरिकता निवेश योजना (Citizenship by Investment Program) के तहत ली थी।
भारत ने Interpol और Antigua सरकार से संपर्क किया ताकि उसे वापस लाया जा सके। लेकिन मेहुल चौकसी ने यह कहकर विरोध किया कि वह भारत में सुरक्षित नहीं रहेगा और उसकी जान को खतरा है।
उसने कई अदालतों में याचिकाएँ दायर कीं और यह साबित करने की कोशिश की कि वह बीमार है और उसे भारत भेजना मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा।
प्रत्यर्पण आदेश क्या है
Mehul Choksi Extradition Order का मतलब है कि अब उस देश की अदालत ने उसे भारत भेजने की अनुमति दे दी है जहाँ वह रह रहा था।
Antigua की अदालत ने लंबे समय तक इस मामले पर सुनवाई की। भारत सरकार ने दस्तावेज और सबूत पेश किए कि चौकसी ने भारत के बैंकों से फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए पैसे निकाले और फिर उन पैसों को विदेशों में छिपा दिया।
अब अदालत ने माना है कि उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और वह आर्थिक अपराधी है। इसलिए अदालत ने कहा कि उसे भारत वापस भेजा जा सकता है ताकि उस पर मुकदमा चलाया जा सके।
मामला कब शुरू हुआ और अब कहाँ तक पहुँचा
नीचे एक तालिका में Mehul Choksi Extradition Order Case की पूरी टाइमलाइन दी गई है:
वर्ष | घटना |
---|---|
2018 | PNB घोटाला सामने आया, मेहुल चौकसी भारत से फरार हुआ |
2018 (जुलाई) | चौकसी ने Antigua की नागरिकता ली |
2019 | भारत सरकार ने प्रत्यर्पण की मांग की |
2021 | चौकसी को डोमिनिका में पकड़ा गया, फिर Antigua वापस भेजा गया |
2022 | अदालत में प्रत्यर्पण केस की सुनवाई शुरू हुई |
2025 | Antigua कोर्ट ने प्रत्यर्पण आदेश (Extradition Order) जारी किया |
भारत सरकार की भूमिका
भारत सरकार ने इस मामले में काफी सक्रिय भूमिका निभाई। विदेश मंत्रालय, CBI और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने संयुक्त रूप से दस्तावेज और सबूत जुटाए। कई बार Antigua सरकार से कूटनीतिक बातचीत भी की गई।
भारत ने लगातार यह तर्क दिया कि मेहुल चौकसी एक भगोड़ा आर्थिक अपराधी है और उसे भारत वापस लाना जरूरी है ताकि जनता के पैसे की भरपाई हो सके। अंततः यह दबाव काम आया और Antigua की अदालत ने भारत के पक्ष में फैसला दिया। Mehul Choksi Extradition Order
प्रत्यर्पण के बाद क्या होगा
यदि प्रत्यर्पण आदेश लागू होता है और मेहुल चौकसी भारत लाया जाता है, तो उसके खिलाफ CBI और ED द्वारा दर्ज मामलों में मुकदमा चलेगा।
उसे Prevention of Money Laundering Act (PMLA) और Fugitive Economic Offenders Act के तहत सजा दी जा सकती है। इस कानून के तहत उसकी संपत्ति जब्त की जा सकती है और उसे जेल की सजा भी मिल सकती है। भारत की अदालतों में उसके खिलाफ कई चार्जशीट पहले से दाखिल हैं। अब प्रत्यर्पण के बाद यह प्रक्रिया तेज होगी।
अंतरराष्ट्रीय महत्व
यह मामला केवल भारत तक सीमित नहीं है बल्कि इसका अंतरराष्ट्रीय महत्व भी है। यह दर्शाता है कि आर्थिक अपराधी चाहे जहाँ भाग जाएँ, कानून से बच नहीं सकते।
भारत ने हाल के वर्षों में कई भगोड़ों को विदेशों से वापस लाने में सफलता हासिल की है, जैसे विजय माल्या और नीरव मोदी के मामले। मेहुल चौकसी का प्रत्यर्पण भारत की कानूनी और कूटनीतिक ताकत को और मजबूत करेगा।
आम जनता की प्रतिक्रिया
भारत में आम जनता इस खबर को राहत के रूप में देख रही है। वर्षों से चले आ रहे इस केस में अब उम्मीद की किरण जगी है कि जिन लोगों ने देश की संपत्ति से धोखा किया, उन्हें सजा मिलेगी।
सोशल मीडिया पर भी लोग इसे भारत की बड़ी जीत मान रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि अब न्याय प्रणाली ने दिखा दिया है कि कानून के सामने सब बराबर हैं।
निष्कर्ष | Mehul Choksi Extradition Order 2025
Mehul Choksi Extradition Order 2025 केवल एक कानूनी फैसला नहीं बल्कि एक संदेश है कि भारत अब आर्थिक अपराधियों को किसी भी कोने में छिपने नहीं देगा। मेहुल चौकसी का मामला यह दिखाता है कि कैसे सत्ता, पैसा और प्रभाव कुछ समय तक न्याय से दूर रख सकते हैं, लेकिन अंततः कानून अपनी राह बना ही लेता है।
अगर यह प्रत्यर्पण सफल होता है, तो यह उन सभी भगोड़ों के लिए चेतावनी होगी जो जनता के पैसे से खेलते हैं। भारत की न्याय प्रणाली ने एक बार फिर साबित किया है कि सच और न्याय देर से सही, पर आता जरूर है।